घन की घटा सी चढ़ी धूर सैन पायन की,

दामिनी झमक छबि तामैं बरछान कै।

पीठ गजराजहिं निसान फहरान पीत,

बिवधे मणिन दण्ड इन्दु धनुबान कै।

धाय रवि छादित आराम मग छाँह चलै,

प्रेम के विनोदी राय रंग सरसान कै।

जानहु सुजान भान कुल के बड़े के कान,

छायो मानो रंज को बितान आसमान के॥

स्रोत
  • पोथी : स्त्री कवि संग्रह ,
  • सिरजक : ज्योति प्रसाद मिश्र 'निर्मल ,
  • प्रकाशक : साहित्य भवन लिमिटेड, प्रयाग ,
  • संस्करण : पंचम
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