एक वोर मंगा गंगा सोहै एक वोर आधैं,
छूटि रहे केस आधैं छूटी जटा भेसकौं।
आधैं दुपटा है लंक सोहत बघंबर सौं,
सोहैं ससि भाल नव बेस केल बेसकौं॥
आखिन तरंग भंग भ्रिकुटी अनंग बर,
दैंन कौं उमंग राजैं भसम उजेसकौं।
भूषन फनेस सुर सेवत सुरेस बेस,
मेरी वोर की हमेस आदेस भूतेसकौं॥