द्रोन की प्रतिज्ञा जुद्ध संसत्पक अर्जुन को,
चक्रव्यूह वेध वध सुभद्रा के नंद को।
नर की प्रतिज्ञा जुद्ध बिना रथ वध भयो,
भूरिश्रवा जैद्रथ औ बिंद अनुबिंद को।
रात्रि युद्ध वासवी अमोघ शक्ति ही तैं भयो,
पात हेडंबेय गन शत्रु निहकंद को।
पैंतालीस भ्राता दुर्योधन के द्रौण पात,
द्रौणी अस्त्र नारायन प्रेर्यो अस्त्र पुंज फंद को॥