राज गरीब निवाज, जेण पहळाद उबारै।
राज गरीब निवाज, द्रोपद चीर वधारै।
राज गरीब निवाज, कुरंद सुदांमा कप्पै।
राज गरीब निवाज, धुव इवचळ कर थप्पै।
गज ग्राह विन्हे ही तारिया, रीझे खीझे लाछवर।
अजमाल चरण वंदण करै, धन तौ लीला चक्रधर॥