मखमल जाण सूतो रह्यो पीवण रो सिराणो देय
विस री उसासा, मधु मान, मन खाई है
गमायी प्रभुताई सारी मोह री पिटारी माह
गई मति मारी, भारी आतमा भुलाई है
सोनै री कटारी वणा, साहणी सुहावणी-सी
आप रै ही हाथ आप हिया माह खायी है
अर मतिमद नर कडो प्रतिबध यारो
जाणतो अजाण मणि हाथ सूं गमाई है
कुणसो मुकाम धन बाम देह गेह थारो
नेह बाधि फूस री पिटारी माहि सूनो है
ठेल-ठेल पेल रह्यो, जीवण अमोल दिन
ममता री घाणी रा जुवाडा माहि जूतो है
आपो खोय आप लखि, टळ ज्यू चौरासी लख
बापो भूल बठयो, अध पूत यू कपूतो है
बेळा है अज भी चेत खेत सूख रेत भयी
साझ पड्या मौत रा करा र माहि नूतो है।