जैसे लांबो जेवरो सूं वेद विधि कहिये ताहि,
सुभ अरूअसुभ कर्म गल पीर है।
जैसे विप्र बणजारै वचन की नाखै पासि,
जीव बैल वपुधारी बंधे एक ठौर है।
जैसे गौनि भरी राखी बासना अनेक भांति,
पाप पुनि बीज रूप वर्धमान और है।
तैसे वेद जाल रूप आश्रम वग्न नाम,
निकसे बालकराम संत जग मोर है॥