विष्णु कहै रमा तेरे पिता की त्रिया जो गंगा,
शिव ने छिनाय लीनी ताको वैर का लयो।
रमा कहे जारत त्रिलोक जैसो दीनो विख,
आप तैं छिप्यो है का? बिख्यात विश्व में भयो।
आपको जरायो पुत्र काम सो अनंग नाम,
ताको चिन्ह हाथ लेकै पूजत नयो नयो।
ऐसो परिहास कियो दम्पति स्वरूपदास,
मंगल की रासी ध्यान व्हैदै चित्र व्है गयो॥