चंचलता निरषि तुरंगन नवायो सीस,
बन बन भ्रमे म्रग व्है कै दलगीर से।
देखी छबि मीननि निकेत जल जाय कीन्हौ,
जलज लजाने हैं फुलाने पाय पीर से।
कहै सिरदार देखि चित में बिचारी हारी,
घायल परे हैं धीर वीर बलबीर से।
इसक (फंदा) मै (फंदि) कैसे केरी भागे लागै,
नोकदार नैन तेरै फोकदार तीर से॥
रे अहीर बंकी भौंहन वाले काले वे बे पीर,
गली गली एंडाता डोलै बोल बैन गंभीर।
मोहन रूप अनूपम तैंडा नैन बिसारै तीर,
लागे आनि अचानक रे तन मो मन धरत न धीर।
लैबे दरद दुपट्टा पीरा पंछि द्रिगों का नीर,
तो जर्यौ सिरदार मुहब्बत सांची सांच सरीर॥