खंड निरमान उतपात को प्रमान हानि,
भीष्म-अभिसेचन प्रणेता सैन्य सारी को।
अर्जुन-विषाद गीता अष्टादशाध्याय जानि,
तीन वरदान धर्मपुत्र धर्मचारी कौं।
इरावान उत्तर औ शंक द्वै विराटपुत्र,
सतरा सुयोधन के बंधु अपकारी को।
भयो परलोक बाणसज्जा गंगापुत्र पोढे,
बाण-गंगा दीनो जस अखै तूणधारी कौं॥