धनंजय विजै स्वेतवाहन किरीटी जिष्णु,
अर्जुन विभत्सु सव्यसाची नाम गहिये।
फालगुन कृष्ण कृष्णसखा नर गुड़ाकेस,
वासवी संगीतवेत्ता विश्वजेत्ता कहिये।
कौंतेय गांडीवधारी कपिध्वज अभैकारी,
और कालखंजारी उचार किया चहिये।
क्षत्रि कौं जरूर और कोऊ कौं स्वरूपदास,
बीस नाम जपै तैं त्रिवर्ग सद्य लहिये॥