आमो काट अजाण, जेत बम्बूल जमाये।

सोवन कुस घास, खेत कोयू को बायै।

कुल्लो करे कपूर, किनक चरबी चढ़ी।

बाल चंदण बावमो, मांहि मुख खल रंधी।

भरम रै मांहि भूल्यो फिरयो, नीच करम गत नान्हियो।

राम रो नाम खोयो रतन, कौड़ी बदले कान्हियौ॥

स्रोत
  • पोथी : पोथो ग्रंथ ज्ञान ,
  • सिरजक : कान्होजी बारहठ ,
  • संपादक : कृष्णानंद आचार्य ,
  • प्रकाशक : जांभाणी साहित्य अकादमी, पुरस्कार ,
  • संस्करण : प्रथम
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