कमरा नी भेंत माते पड़ी दरारे,
उखड़ी थकी सीमेन्ट नी परत
ने मकड़ी नं जारं
हुकाएलो चेहरों
भार थी नमेलु माथु
भारी-भारी आँखें -
जवानी में बुढ़ापो लीदे थकै
शायद केटलीए समस्याए थी थाकेलो
जीवतो थको भी मरेलो
आखें टम टमावतो, ने बीतो थको
केवल आशा ऊपर जीवतो थको ई मनख ।
मुं बी ग्यो।
विशार आव्यो
दंगा, झगड़ा ने कोरट ना चक्कर,
ब्याज वटाव में फँस्यों घन चक्कर,
शंका ने अविश्वास में फंसेलो बापड़ो
हेत्ते लई शके मोटं थी टक्कर |
जात वारं मदद करतं नथी
भाई-भाई हामु देखता नथी
मोटो परिवार, ने खसै वदारे
कई करते पुरू पड़तु नथी।
केने तो के, ने कोण हामरे
टकटकी थी आँख मई पड़ी ही झामरे
आ मनख नी तसवीर है के देश नी तसवीर ?
आजे अमरबेल नफरत नी बेल बणी गई है
प्रेम नुं एक भी फूल नथी देखातु।
सच्चाई तो मरी रई है ने
मनखं नं चेहरं माते रौनक नथी।
भेत माते प्लास्टर थाये
तो भी थिकडं ई थिकड़।
हेत्ते निपटावं आ दुखड़?
एक आड़ी धन्ना सेठ नी हवेली मई
रोशनी नी जगमगाहट मई
थई रई राग-रंग है
ने बीजी आडी फुटपाथ ऊपर
भूख ने तरस थी थई रई जंग है।
आनी जंग मई
मानवता हरमाई रई है
ने दानवता अट्टसास करी रई है
फेर भी
जीववु पड़े है एटलै जीवं हं
खावु पड़े हैं एटले खं हं
जावु पड़े है इयं जं हं
पेट ऊपर पाटा दई ने भी दांत काडं हैं।