पीयाजी गाड़ी धीरे चलाना जी, सैंयाजी गाड़ी धीरे चलाना जी॥

सैंया जयपुर शहर जाना, मेरे चूड़ी चोली लाना।

वापस जल्दी घर को आना, पर पियाजी गाड़ी धीरे चलाना जी॥

ध्यान रखना आते-जाते, मत कर मोबाईल पे बाते।

कुर्सी बेल्ट सुरक्षित कसना, ज्यादा भीड़भाड़ मत फँसना।

देना स्टेयरिंग पर ध्यान, करना सिगनल का सम्मान।

लाल लाईट पे रुक जाना, फोरन होरन ठीक बजाना।

रखना हेल्पलाईन को याद, दुख में झट करना फरियाद।

भीड़ के मांही मत घबराना जी, पीयाजी गाड़ी धीरे चलाना जी॥

सिर पे हेलमेट कर धारण, बचना दुर्घटना के कारण।

ध्वनि धुआँ शोर प्रदूषण, जिनको करियो शीघ्र निवारण।

चमचम लाईट भी चमकानी, सुन्दर नंबर प्लेट लगानी।

जिनको रखना याद जुबानी, पास रखना चुग्गा पानी।

नही तो फिर पीछे पछताना जी, पीयाजी गाडी धीरे चलाना जी॥

टैक्स जमा, लगा हो टोकन, चमकै क्लीन कांच अवलोकन।

पेपर परमीट रखना पास, चसमा बदलो बरस पचास।

वाहन हुवै वजनी भारी, टी.वी देखे हरकत सारी।

जयपुर अकसर रहता जाम, स्टै करना अल्प विराम।

जयपुर नगरां री पटरानी, दिन भर भारी धूम मचानी।

सुणकर महा भयंकर शोर, करना छाती मत कमजोर।

ट्राफिक से कभी मत टकराना जी, पीयाजी गाडी धीरे चलाना जी॥

जंगी जोरदार हो जेक, बढिया ट्यूब टायर ब्रेक।

करना वाहन का हद केयर, फिट हो क्लीच वायर गियर।

गाडी करे गडबड झाला, खुली खड़ी लगाना ताला।

बोतल मदीरा कबहन पीना, रस्ते हंसते-हंसते जीना।

सतसांई करें सफर सुहाना जी, पीयाजी गाड़ी धीरे चलाना जी॥

स्रोत
  • सिरजक : मोहन सिंह रतनू ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी