कदै हरखै, कदै निरखै

कदै मुळकै, कदै फड़कै

या तो जिंदगी छै भाया

या तो इयां चालैली

कदै राजी, कदै रूस्योड़ी

कदै आडी, कदै टेढ़ी

या तो इयां चालैली

कदै आंसूड़ा ढळकाती,

कदै हंसी-ठट्टा करवाती

या तो इयां चालैली

कदै रीती, कदै भरयोड़ी

कदै मैं'गी, कदै सस्ती

या तो इयां चालैली

पण का दिन दो-चार

रळ-मिळ मौजां करल्यो यार

या तो जिंदडी छै भाया।

या तो ईयां चालैली।

स्रोत
  • पोथी : सरद पुन्यूं को चांद ,
  • सिरजक : अभिलाषा पारीक ,
  • प्रकाशक : कलासन प्रकाशन ,
  • संस्करण : Prtham