सांवळौ थकौ
पण ऊजळ करमौ
वो चेहरौ
आज पण जद म्हारी
हिया री आंखियां उतरै
तौ काळजा में
एक डबळकौ सो ऊठै
वां री चितार रौ
अर सोचण लागूं कै
बिना दीठ रै
किकर जोवता हा वे
इण दुनिया नै
इतरी खरी दीठ सूं?
उण मूंडै घणखरी
बापरियौड़ी रैवती ही
एक अणजांण उदासी
कीं चिंतावां जकी
जठासूं ऊठती बठै इज
खप जावती ही
पण चिंता रा आं
आडा-तिरछा ऊमरां रै बिचाळै
ही एक ससक्त नै आदर्स
लुगाई री मूरत
अर जद वा मूरत हंसती
तौ म्हारै मन रै आंगणौ
जांणै फेंफ रा फूल जड़ता
आज ई याद आवै
वांरै हाथां चूरियौड़ी
वा दूध-रोटी
ब्याळू रै बखत कैयोड़ी
वे राजा-राघसां री बातां
लीलम, म्हनै जड़ी रै घरै पुगाय बेटा?
कै, म्हारा गाभलियां रै टांका दै'य बेटा?
कदास इणी'ज सारू
वे राखता हा चूर्यौ-मूर्यौ
म्हारै सारू
सगळां सूं लुकाय
वे कैवता लीलम!
'जूतां फाट जवानी आई
गाभां फाट गरीबी आई'
कै कैवता,
'म्हारा गाभा फाटै जणां
म्हनै एड़ौ लखावै जांणै
म्हारा जीसा आज इज चलिया है'
पण म्हैं गै'ली कठै समझती ही
उण बखत
आं गै'री अर ठावी बातां रा
मरम
अबूझ ज्यूं
फगत
वां रौ मूंडौ जोवती रैय जावती।
जद म्हारै अर वां रै
अणबण व्है जावती
तौ म्हैं वां नै गैला व्हीया समझ'र
बिजळी रा झटका
दिरावण सारू
गाडौ जोतण रौ
सागड़ी नै हैलौ मारती
तद वे घणां हंसता
म्हारै माथै
थुथकी न्हाखता - न्हाखता
म्हनै जै'र गळण री आसीसां दैवता
कदास, आं आसीसां रै पांण इज
आज,
टेडा-मेडा टोळां नै
पार करण सारू
पगलिया भरूं।