साफ हमराई रयु है मनै

वेनु पगरवु

धीरै-धीरै

मीनका वजु

आवी रयो है अमारै कनै

सोट्टाई करवा

हवा

पाणी

यं हुदी कै

पोगं नी ज़मीं भी

पौतै कएंस ने रैगा आलवा

बपौती मएं

आब्बा वारा टेम नै।

उपाव करवौ

चाहोगा तमै भी

मुं भी

सब चाहैंगा

थावा वारी दुर्घटना थकी बचवु

वएंगा अणा बल्लै

कई एक वाटै

तमारे मगज मंय

पण

जागतु रैवु

हर घड़ी जागतु रैवु भी

एक वाट है

खरी वाट।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : भविष्य दत्त ‘भविष्य’ ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादनी बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण