वाते,

कईक तो केवानी, ने कईक नी केवानी,

कईक केवल हामरवानी

वाते,

एक हूँ बीजा ने,

बीजा हूँ तीजा ने,

तीजा थी कईक ने

वदवा वारी वाते नो कई अंत नथी

जेटल मोडं, एटली वाते, -

वाते,

संबंध वणावी भी खरी ने,

संबंध वगाडी भी खरी।

शार मनख भेगं थई तो

बणावा नी वाते थोडी थई

वगाडवा नी वदारे।

जोनी-जोनी वाते,

बाप दादं नी बाते

एक बीजा नी आलोचना, ने गारे।

बस ग्यू है वाते मई।

जेना थी टूटी रया ही

मनुष्यं ना आपस ना संबंध

म्हारू तो मारू ने तारू मारू हियारी

आवी रइ गईं वाते।

वाते

जरूरी हीं

सम्बन्ध बणावणवानी

वगड्या संबंध हुदारवानी

समाज ने देश वास्ते

चिन्तन ने मनन करवानी

आवो आपड़े सब बईने वाते करं—

कईंक नवु करं

जैना थी

इंसानियत जागी उठे

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री ,
  • सिरजक : नलिनी नाथ भट्ट ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham