केई-केई वार

पिरथी री परकमा करणाळा

दोय पग

वैसाख्यां रे स्यारं क्यूं?

अनेकांनेक

वजराघात झेलणाळौ

अेक सीनौ

क्यूं

उणमें

हिड़दै रौ प्रतिरोपण?

अंधार में

मीलां सफीट देखणाळी

दोय आख्यां

क्यू धारी पासांणी थिरता?

आवता जुगां री

समस्यावां री समाधान लियोडी

अेक 'मेकेनाइज्ड' खोपड़ी

क्यूं हिसाब नीं लगाय सकी

खुद री जिंदगानी रौ?

क्यूं अेक रघुकुळी

ऊभौ है झुक्योड़ी

जगै जगै सुं टुट्योड़ौ-तिड़क्योड़ी

जमानौ

नीं जांणै किणरी स्वतंत्रता सारू

निरंतर

कर रैयो है संग्राम।

स्रोत
  • पोथी : झळ ,
  • सिरजक : जुगत प्रकासण, जोधपुर ,
  • प्रकाशक : जुगत प्रकासण, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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