उतावेर वद्तीस जई रई हती
देक्यू कमाड़ ना पोला में
हामरयू ,पण
तडक्या कमाड मय थकी
आव्यो ने कोई भी
कागद्।
देको मारी आ कैवी
पड़ी गई है आदत
रोज़ दाड़े वाड़ जुऊँ
कईयाक् खास कागद नी
पण कईया फिराक में भटक्यू
मारू आ मन
गांगडा पाडे, रूऐ
वेली थकी हाँज हूदी जुऐ वाड़
नै देखतं देखतं मएं
बावसी पासा आतमी नएं
आवतै काल
फिरी उगी आब्बा ना
आश्वासन हातै।