आप कठी कांनी हो?

सवाल रौ खुलासौ करदूं

डूंगर बळती जोय

हाकौ करणिया हौ

कै

उठै लाय देख

आपरै पगां कांनी जोवणिया हौI

बात अेक है

फगत सबदां रौ फेर बदळ हैI

लाय लाय री ठौड़,

आपरौ हाकौ लाय तांई,

वाजब कोनीं

दोनूं बातां

कै

चातरंग है मिनख-जातI

चौड़ै धाड़ै लूटणिया कुण

म्हैं कै आप?

पछै हाकौ?

आपरौ हाकौ

अर रेल रै इंजण री सीटी

घणौ फरक कोनी

दोनां मांय,

दोनूं चेतावै

आप आप रै पांणI

सवाल अजे अधुरौ है

अर झौड़ आपरी ठौड़,

आप अबूझ कोनी

चितबंगा कै भोळा कोनी,

मिनख अर माखी नै फांटतौ चांनणौ

क्यूं घटतौ जावै तर तर,

गज भर जमीन सारुं

क्यूं फाटै

आठ-दस माथाI

बगत किणरै कनै है

कै लेवै खोज

इत्ती नाकुछ बातां रौ,

बत्तौ सोच तौ इणरौ

कै आप आप री

रोटी हेटै

खीरा सावळ दिया कै नींI

सवाल फगत इत्तौ

कै आप कठी कांनी हौ?

आज

बगत मांगै म्यांनौ

आप सूं

आप री लियोड़ी सांसा रौI

अबै बांटणी पड़ैला

आपनै

नीजर री लाचारी

अर बूकियां रौ करारI

कितरा दिन जीवौला

इण गुमेज में

कै

जकी धरती म्हे भोगां

वा म्हांरी हैI

डूंगर बळती जोय

करौ पगां री बंदोबस्ती,

अेकठ होय मार्ग चढौ

उण लाय नै

उठै रोकणी हैI

उपाड़ लौ

आप आप री भुजावां

अकूत ताप,

उण लाय नै बुझावण

हूंस री जोत चेतन करोI

स्रोत
  • पोथी : आप कठी कांनी हौ ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • प्रकाशक : रस्मत जोधपुर ,
  • संस्करण : pratham