जिण दिन
थारा होठ
मुळकणा बंद व्है जावैला
बालपणै रा किणी साथीड़ा
या आम आदमी सूं मिलती बगत
जिण दिन
गूंथण लागैला थारो दिमाग
छोटा-मोटा साजिसां रा जाळा
सीधा-सादा मिनखां रै खिलाफ
जिण दिन
थारो जीव बळण
अर काळजो कळपण लागैला
औ देख'र कै
कीकर व्हैगी
लकीर बडी दूजां री
अर धूं जुगत में जुट जावैला
हर हाल में उण रेख नै कारण री
याद राखजै
उण दिन
थारो खेल खतम हो जावैला
अर औ भी कै
अबै जावती जवारड़ा कर री है थनै
थारै पुरखां रै जमायोड़ी
आन, बान अर शान री जाजम।