आवौ...समझां विचारां,

कांई है उजास?

दिनूगै पैली उठणो

अर ऊगतै सूरज सूं पैली

पूरब कानी

आभै नै देखणो

पछै ऊगतै सूरज नै देखणो

कितो लागै है सोवणो,

हळकी-फुळकी

लाली लियौड़ो आभौ!

ऊगतो सूरज

करसा भायां नै

देव

देवै संदेसो कै-

भाई चालो खेतां में!

फेर नीलो आभौ जागै...

सांपड़दै परमात्मा हुवै।

आभै री व्यापकता

अर नीलवरण नै देख

रिसी-मुनि परभु री

इण लीला नै नमन करै...

अे तरै-तरै रा सोवणा

भाखर, नदियां ,रूंख

हरख नै मुळकता-सा

रंग बिरंगा पुसप

अर रूपाळु पांख-पंखेरू

बुढिया माई जिसो

सोवणो जीव

कुदरत रो करिश्मो-सो लागै।

प्रकृति रा व्हाला चितराम

किता सोवणा लागै

मन में हरख उपजावै।

भगवान लीला रा

दरसण करण सारूं

आंख्यां दीनी है...

सो भाई!

देखै तो आंख्यां

पण मन में सवाल उठै कै-

इण रा दरसण करावणवाळौ कुण है?

तो ईं रा दरसण करावणवाळौ

उरजा रो ईज असर है,

वीं रो नांव है-उजास।

हाइगन विज्ञानी मुजब तो-

उजास...

कणिकावां री गति कोनी,

तो तरंग गति है!

जिको एक ठौड़ सूं दूजी ठौड़

तरंग रै रूप में जाया करै,

अलग-अलग रंग रै उजास री,

तरंग अर लम्बाई न्यारी हुवा करै।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : संग्राम सिंह सोढ़ा