आत्मा रै बारै अर मांय

घणौ अंधारौ गैरीज्यौ है घटाटोप

उजास-किरण सारू तरसता

बगना हुयोड़ा अै लोग

दीसा-हीण हुयोड़ा कठी जावै न्हाटता?

के तौ अै मारग भूल्या है

के भरमीज्या है

के भूलग्या ओळख उजास री

के उजास खेलै आं सूं लुकमींचणी रौ खेल

कुण जांणै!

भूंकता गिंडक

कड़कड़ावतौ तावड़ौ अर बळता पग

हाडकियां री गांठड़ियां छाती चेप्योड़ी मावां

बळदां रा पूंछड़ा मरोड़ता करसा

करड़ै हाथां सूं घण घमकावता मजूर

ईमान रौ आसरौ धारयां थकां

दो जूण भूखा तरसै

धरती रौ जायौ, धरती री निपज नै तरसै

किस्यौ धरम, किण मजहब री बात करां

लूट-खसोट अर छीना-झपटी री घात मरां

गीता रौ किसन, बाईबिल रौ ईसा

कुरान रो पैगम्बर या बुद्ध, या नानक या मूसा

मरतोड़ै आदमी नै कद

पोथ्यां सूं बारै आय बचावैला?

टूटोड़ी टपरी री चवती छपरी

बुझतोड़ी लकड़यां रै धुवै भरीज्यौ चूल्हौ

माखी, माछर गंदगी रौ साथ

उडीकणौ रोटी नै

उडीकणौ उजास नै

उडीकणौ परिवार नै

जीवण री दिनचरिया व्हेय'र रैयगी।

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : अम्रतसिह पंवार ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी
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