1

उण दिन आपै में कोनी हा
आप!
भूखा भिड़गी ही
—वासना अर कविता री भूख
अेक-सी हुया करै है
आ तो उण दिन ई
ठा पड़ी ही ऊजळां!

2

जिण ड्योढयां सूं
धोळी दोपारां ई
उतरगी ही आंन
बठै
जोगमाया रै थांन नै
साखी मांन
कांकण-डोरा बांधणा
बिरथा है ऊजळां


3

कूवै-कूवै ई कांई
जद हवा में ई मिळगी है भांग
किणरै खातिर
मांन-बधावण मन भारी करणो
फिजूल है ऊजळां
अर फिजूल है
डागळै चढ कागलिया उडावणा
कुरजां संदेसो भिजावणो
अर बावळी हुयोड़ी थूं
इण कळजुग
छळगारै कान्है अर राधै री प्रीत नै सोधै है
किण रिंदरोही में भंवै है ऊजळां?






स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : मीठेस निरमोही ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : पहला संस्करण