भाई लोगो!

मैं जद मैं हूं बण्यो मिनिस्टर

आफ़त होगी!

सोचै तो थो, चुनाव में जीत मजै सै दिन का काटूंगा

पड्यो पड्यो चटणीं चाटूंगा

पण संगळिया कोन्यां मान्यां

बोल्या “म्हें तो थानै हीं मंतरी बरणास्यां

मैं नटणै में कस्सर राखी कोनी थोड़ी

पण बै भी जिद नैं नहि छोड़ी

मनैं मिनिस्टर करके ही वै म्हाँटा मान्याँ!

आफ़त होगी!

क्यूँक दूसरे ही दिन सैं के भींझट होगो (क)

सौ सौ के दो दो सौ चिठ्ठयाँ

नित-हमेस आवण नै लागी

जाँका ब्योरा सिकेटरी सैं सुणतो सुणतो-

मैं उखताग्यो!

'फलॉं जगॆं कालेज बणी है'

'चोखो भाया बडी बात है, टाबर टीकर घणां पढैंगा

'नहीं नहीं थे मेरो मतबल समज्या कोनी

बींको उद्घाटन पैल्यां थारै ही कर-कमलों सैं होसी'

'हूं! होगो जदतो!

तो आगै की चिठ्यां भी से ऐयां की ही है

भोजासर में म्होबसरी में, इड्याळी, कुमास, भडूंदै

किसनै की ढ़ाणी' हमीरी, बास, पचेरी

गुढ़ै गौड़जी में साग ही खुल्या दवाई खानां सारै

बै भी थानैं उद्घाटन करबानैं हीं तो बुलवाया है

मावस नै, कुछ चौथ ओर नौमी, चौदस नैं!

आनैं तो ऐयां हीं बैंयां हीं क्हैंयां हीं नट ज्यावांगा

पण बै भूंगरवास बसावणियां नेताजी

गैल पड़ रह्या है पिछले नो दस म्हींना सैं

बांका कोई सवा दोयसौ पोसकाट'र लिफाफा आगा

अर पिछलै ग्यारा दिन में हीं

चौदा पन्द्रा तार खुड़कगा हैं अरजंटी!

बै कोई यूं संत बिनोवा भावैजी की जलम तिथी पै

छोरां सै स्रमदान कराव होऱ्या है

आप कै गाँव में!

बै भी चावै है

धरती पै पैली कस्सी थे ही मारो

बांको ठींचो बिगड़ ज्यावै

इस्यो सुधारो!

मैं नटतो नटतो बीं खातर हामळ भरली

बस, हामळ भरणै की देरी थी

झटपट टेलीफून कर्या दस बीस जगाँ तो

और तार खुड़काया कोई -

चौसठ - पैंसठ- छयाँसठ गांवॉं में स्हैरा में

जो जो रस्तै में आवै था!

और सैंकड़ी टाइम टेबिल -

टूर - कार्यक्रम का बण बण कर टाइप होग्या!

और तीसरै ही दिन-

इसपेसल सलून सजधज कर चाली

फूलों की माळा'र तिरंगो लगा स्यामनैं

छक् छक् छक् छक् फक फक फक फक् करती हाली!

मेरै सागै एक सिकटरी, च्यार रसोया-चौदा चाकर

एक बैद अर तीन डाकदर, बारा ठाकर

छै स्टेनोग्राफर अर दस फोटोग्राफर!

तार फून सै पेल्यां सै हीं खुड़क्योड़ा था

बाँच बाँच वै तार बठीनैं ए. सी. सी. का और पुलिस का

दो सौ सैं ज्यादा जुवान आगे पुगा'र

जैकी जैयां भी बिद बैठी-

ले जीप-टरक लोरी' कार

सगळा हाकिम अर ऐलकार

पूंच्या मौके पे ठेठ जार!

और जा' बै आस पास कै- गावां में फैलादी चरचा

बाज्या भोंपू बटग्या परचा

हज्जारौँ हीं नर नारी देखण उलट्याया

लगा लगा कर घर का खरचा!

छापा छपग्या

ठेतन पै ही मंत्री जी को नेताजी सम्मान करेगा!

दो छोरा बांने फूल का हार पहराकै

खड्या खड्या गुणगान करेगा!

पाछै डेरै में आकरकै मंत्री जी जलपान करैगा!

थोडोसो, बस तीन -च्यार घंटा को ही आराम करैगा!

दोन्यू बखत मिलेगा जद बै

संज्या सी स्रमदान करेगा!

म्हारै भी तावळ होरी थी

पूंची ठेसन पर जद बोगी

भीड़ हजारों की ही होगी

धीरे धीरे बी सलून सैं -

तासाँ के बावन पत्ताँ सी

बावन - मुरती नीचै उतरी!

और तुरप को इक्को सो मैं आगै आगै

पान चबातो, थोड़ो थोड़ो सो सरमातो

थोड़ो थोड़ो सो मुसकातो

कानी कानी आंख फिरातो

जणैं जणैं सैं हाथ मिलातो

हाँस-हाँस के भांत भांत का पोज बणातो

बीसॉं हीं फोटू उतरातो मैं पूंच्यो डेरे में जाकै!

संज्या होगी जणां फिल्ड में माची कच्ची

कोई को टींगर गुमगो तो-

कोई की यूं फिसगी बच्ची

हाथ पगॉं से लात फड़ाका धामा मुक्की, चिड़ी पापड़ो

अर मूंडै सैं ले भड़भच्ची-

उचक उचक कर उछल उछळ कर -

मनैं देखऱ्या था नर नारी!

इतणै में ही नेताजी मेरै हाथां में-

चाँदी को कसियो देकर के ऐयाँ बोल्या-

भैणों और भाइयो इब ये मंत्रीजी श्रमदान करें है!

सुणतांहीं मैं सावदान हो

कसिय से धरती की थोड़ी माटी कुचरी

मैं कोई सुन्दर सो तिरछो पोज बणाऊं

अर बनावटी हांसी नैं होठों पे ल्यावूं-

जीं पैल्याँ हीं फोटूग्राफर

ले ले कर बो पोज, रील नैं फिरा चुक्या था!

मैं ओज्यूं सैं फोटूग्राफर कानी एक इसारो करकै

और दूसरो पोज बणायो,

और तिसरो पोज बायो-

कसियै नैं धरती पै पटक'र जोर लगायो

तो माटी को डगळो सीदो सिर में आयो!

पोज बिगड़ग्यो, पोज बिगड़ग्यो

ऐयां मैं मीनत करकै भी

दो इन्ची माटी भी तो मैं खोद पायो

पण श्रम पर ढाई घंटा को भासण देकै

मैं डेरे में पाछो आयो!

और दूसरे ही दिन सगळ अखबारों में

भाषण छपग्यो, फोटू छपगी!

पण बो पोज बिगड़र्यो थो सगळै छापां में

सिर में पड्यो धूळ को धोबो यां को ऐयां चिलकै थो

पोज बिगड़ग्यो- पोज बिगड़ग्यो!

भाई लोगो मैं जद से हूं बण्यो मिनिस्टर

आफ़त होगी, (क्यूंक)

उद्घाटन करण नैं नहीं जावूं तो गांव धूळिया देवै

अर जावूं तो धूळ पड़ै मेरे सिर में मेरे ही हाथां

आफ़त होगी!

स्रोत
  • सिरजक : विश्वनाथ शर्मा विमलेश ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी