किणी बदमास नै
सरवर रै
शान्त अर शीतळ जळ में
भाटौ न्हांक दियौ
रीस खाय’र लैरां
उण नै पकड़ण सारू दौड़ पड़ी
पण आपरी सीमा में बंध्योड़ी हौवण सूं
आगै नीं बद सकी
ईं दरद नै भूल’र
शान्त व्हैगी।
पण आपां जुगां सूं बिणयोड़ी
रीती-नीति री बातां नै
बेधड़क लांघता
भाग रिया हां
जिग्यासावां नै सुरा पान करा रिया हां
ईं वास्तै जीवण रै हर मोड़ माथै
जैर घुळ रियौ है
मिनख, मिनख रै सागै
अबिसवास करतौ
घुटण रै वातावरण मांय
जी रियौ है।