जिण मन री नदीं मांये

उतर जावै

चालाकियां रा

मगरमच्छ

विण

मन री नदी मांये

टिक नीं सकै

भला बिचारां रा

फेर कोई जळचर

स्रोत
  • सिरजक : आशा पाण्डेय ओझा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी