वदी रह्या हैं गुना

दाड़ै-दाड़ै

कैनै न्हें पड़ी है

ज्यार सुधी पोते माथै न्हें आवे

माँ ब्हैन नीं इज़्ज़त आबरू वचाव्वा नी

जिम्मेवारी आक्खाअें समाज नीं पण

हंगराअें मुंडूं लटकावी

अेम’ज ऊभा हैं जैम के

आपड़ी वारी नी वाट जौईर्‌या हैं

जैम के ईं तौ वची’ज जवा ना हैं

मौटो नाना ने बिहाडै, धमकावै

आपड़ा जोर नै गलत वापरे

पण कोय गलत नै गलत

क्हैवा वारू नती कै

आणा जुग म‌अें तौ अैम लागै

जैम आदमी जीवती लास है

उभो जैम के हुकेलू रूखडूं

के पछै कईदो ठूँठ

जैनौ मयलौ मरीग्यौ है

अैनै खोरियू वचिग्य है।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : राम पंचाल भारतीय ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी