मन में कमरो

कमरै में कमरौ

कमरै में खाली राख

लाख टकां री बात है भाई

थूं भीतर नै झांक

पड़छांई तो फिरै बांटती

काळस रौ परसाद

पांती आयौ लेणौ पड़सी

मतो करो थे वाद

मन में हेत उगायौ हो म्हे

पण उगियायौ आक

थूं भीतर नै झांक

अठी-उठी नै खोज काढ़तां

पगल्या घसग्या म्हांरा

म्हें तौ जठै-जठै देख्या

हा थाक्या उणियारा

दूर थकां लग धूड़-धूड़ है

धोबा भर-भर फांक

थूं भीतर नै झांक...

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : किसन कल्पित ,
  • संपादक : तेजसिंघ जोधा