धंवर है
ठण्ड है
फेर भी
सुधियां ही
भाज्या बगै
घणा लोग
के अमीर के गरीब
अैलो नीं जाण द्यै
जिया-जूण
सूरजी महाराज रै
थोड़ै सै उजाळै नै भी