घर में पूंजी-सूंजी रो तोटो कोनी
तो ई अे बेलीड़ा रात-दिन
दर-दर रा धक्का क्यूं खा रैया है?
भासण रा भूखा अे भेड़िया
स्वारथ रा लूखा अे स्याळिया
पण अे देस में चौड़ै-धाड़ै घुसग्या
तो ई धणी दिनूगै तांई बेपरवाह
पड़दै में क्यूं पौढ रैया है?
थां तो कदैई आगो-नैड़ो
भाग भरियै भाखर रो भाग्य देख्यो कोनी,
निरा भोळा-ढाळा, पोपांबाई जैड़ा
पछै आफत रा पहाड़ क्यूं मोला रैया है?
आपरी खाल में खुस हुयोड़ा
पगां बळती दीसै कोनी
तो पराई मूंछ क्यूं मोला रैया है?
हर हुवै तो फगत आपनै बतावूं
चित री चोरी थांनै चितावूं
अे जूण जूझियां बिना चिता नीं चढैली
अेकता अर लगन बिना पार नीं पड़ैली...
अणकीमती थारी औकातड़ी
सूनै समदर में गोता खा रैयी
मनसा थारी रो माहोमाह
आज पांगळी परड़ां खा रैयी है!
ओ साईणा! थे तो दारूड़ी में डिग्या हो,
माया री मळाई में फंस्या हो
जद तो थांरी मूंछ रो मोल रैयो कोनी।
जीवता-जागता मूरती ज्यूं आंख्यां मींचली
जद परभाती परसाद गीदड़ खा रैया है।
ओ धाकड़ धणिया! बोलो माईतां!
कोरो कूड़ कथण सूं, कोरो थूक बिलोवण सूं
ओ इतियास कियां इतरावैलो?
थे म्हनै बतावो-
जुगां-जुग री गरिमा नै
निरी मेळ-जोल री महिमा नै
पीढी-दर-पीढी कियां पोटावोला?
ओ जामण जायां!
मासी भाया!!
अे धोळी आंख्यां रा टाबर
ऊजळै इतियास रै आखरां नै कियां बिड़दावैला?
ढीलो डील, ढीली चाल, ओ हिलतो-डुलतो हाल
देस री कांई दसा हुवैला?
चेतो! चेतो!!
ओ कामणी! ओ धिराणी!
सगळां सूं सिरमौड़
अे लोग-लुगाई मारणी लांबी परड़ां,
तिल-तिल जीणो कर रैयी ललकार।
लुच्चा-लफंगा कूड़ा चोर
मिसकीनां रा माल मसकरा
लांबै अरसै सूं खा रैया है।
परदै री पदमणी रो परदो
अळगो करनै आंसू पी रैया है!
अैड़ौ जीणो मरणै सूं बहद
पण जीणो है जुगां-जुग जरूर
लिखतो ललचाऊं, मांडतो मुळकाऊं
पण कैवतो रैऊंला हजूरा-हजूर।
काळ-भैरवी, अे नागी जिंदां
आभै सूं बातां कर रैयी
सुरगलोक री वास सारू
अे मित्रियां क्यूं मन ललचा रैयी है?
लूगड़ी री लाखाणी लाज नै
परदै री रावळी परंपरा नै
राज री रीत क्यूं मना कर रैयी है?
खुद रै पगां ऊभा हो जावो
बळ पखीणा नै हाथ बधावो,
गुण गीत सगळां रा गावो
इण इळा पर उकळता
कीड़ियां ज्यूं कळबळता
बण रैया है भोळा
काकै काळ रा ग्रास...
पण आज मार रैयी है, मनड़ै री आस।
अै काळ भेरवी गिरजां
थां उडती घणी देखी
पण फंसती कोनी देखी।
थे म्हनै बतावो-
आप इण रिंधरोही में
कियां जोत जगावोला?
आप मरियां जुग परलै
जाणै स्सै चांदणो ई चांदणो
हाथ सूं छूटो भाठो
थे कियां पकड़ोला काठो?
व्यथा री बेळा
नैणां सूं बैंवता आंसू
नारियां रा दिल रोता नाठा
थे कियां बण्या बळद ज्यूं माठा?
आज कुरसी रा भाव
सातवैं आसमान चढग्या
म्हारा नेताजी खुद री कुरसी बतावण सारू
जनीन-आसमान अेक कर रैया है।
कुरसी री दौड़ में दौड़ता तो जावै
पण बापड़ी जनता भलां ई भाड़ में जावै।
बस, अबै, आ रावळी छुरी हेटै पड़गी
पण सागै काळ अर सोसण री मा अड़गी।
रळमिळ राखियां रहसी मरजाद
फूटियां करम कुण सुणैला फरियाद...
आभो तो घणो ऊजळो
धरा पे गंदी पड़ी गार
तोई आपस में मारो मार
प्रभु आयां मिटसी पंपाळ
सोनै रा सुपना
पाप नै रैया पसार
अकल पे थूक-थूक समदर बैय रैया
जीवणै नै जुलम में नांख रैया।
अबूझ सायद समझै कोनी
फागण रा फेरा, चेत री चोरी
धवळै दिन अभागी
धींगाणै लूटै लोरी
आ है तानासाही री सीना जोरी।