नींद उडार खायगी है
तो सुपनां नैं
ठौड़ कठै है!
प्रेम काया माथै पसर्यो
तो हिरदै नैं
ठौड़ कठै है!
धन सूं तुलै जद मानखो
तो ईमान नैं
ठौड़ कठै है!
प्रकृति नैं चरग्यो मिनख
तो जिंदगाणी नैं
ठौड़ कठै है!
बेलीपौ अंतरजाळ रै हवालै
तो मिलण नैं
ठौड़ कठै है!
जड़ां काटण ढूक्या हो
तो टिकाव री
ठौड़ कठै है!
संस्कार कर दीन्हा होम
तो संस्कृति नैं
ठौड़ कठै है!
जोड़ापो फगत सौदो है
तो सकून नैं
ठौड़ कठै है!