थारी मुळक सूं

म्हारौ खेत हांसण लागग्यौ

खेत में बीज्योड़ी फसल

ओसरड़कै चढगी

साच्याणी

सोचूं

थूं म्हारै खेत में आय'र

गीत उगेर दियौ

तौ कांई होसी!

स्रोत
  • पोथी : थारी मुळक म्हारी कविता ,
  • सिरजक : गौरी शंकर निम्मीवाल ,
  • प्रकाशक : एकता प्रकाशन
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