देखतां ई देखतां
इण धरती मा सूं
अपणै सूं,बिछुड़ रैया है
अै साहित्य सिरजनहार
अर सगळा रा सगळा
लै रैया है विदा
आपरै गावतां कण्ठां सूं
जगती रै कल्याण रा
गीत गूंजै है अजै तांई
इण पृथ्वी माथै।
नीं जांणा
कीं नीं जांणा
कै कींकर करालां
इण कमी री पूरती
किंया कर पावांलां
इण जग में
उण गीतां री होड़।
देखतां ही देखतां
इण पिरथी माथै
पसर रैयो है सूनापण
अर बध रैयो है
च्यारन मैर अंधारौ
कींकर काढालां
आपां इण अंधारै
मांय सूं आपणी राह
कदै व्हैला इण जग में
पाछौ वैड़ो उजास
कीं अणचीन्ती नीं व्है जावै
सोचो सारी शक्ति सूं ओ सोचो
इण वास्ते
आवण देवो आंगण मांय
नवविभूतियां नै
खुलनै खौलो गांठां
विचारां री
पड़दा रै लारे
पिलंगां माथै
धरयां हाथां पै हाथ
कीं होवण वालौ नीं है
क्षतिपूर्ति
करण रा अरमांण
पूरानीं व्हैला
पकड़ियां कोरौ मांथ
इण जग मांय
किण पायी है
मुगती कोरौ करनै कोड
ज्यांरा गूँजै है अै गीत
गावीजै आखर
बाचीजै पोथी पानड़ा
इण जग मांय
वां आपरा आपै
नै मैटयौ हों
मुगती मारग
जौया कर कर नै कोड
वां री सगली
सुरसत वाणी रौ
भार थानै निभाणौ
थांनै अर
कौरों थांनै।