रसोई घर है- दवाखाणो
अठै मिलै है- हींग, लहसण,
हळधी-धाणा, राईदाणो।
देख आवती!
चन्दरमा री बारात
रात भर...! रुक गई रात।
फूल हियै रो खिल जावण दै
खिड़की खोल!
हवा आवण दै!