सामै का डूंगर पै

चढ़'र देख

बादळ्यां,

लीला रुंखडा

नंदी को चढ़ाव...

सड़क-

जी कै पा'र

आपणौ गांव!

फैर बच्यार

टटोळ थारी जिंदगाणी

बरखा की रपट छै

जी नै तू

समंदर

जाण'र्यो छै।

स्रोत
  • सिरजक : जितेन्द्र निर्मोही ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी