सुराज का चतराम

गांधी जी का छा।

ज्यां कै तांई वै

सरग नै साथ लेग्या

अठी भी लोग

सुराज को सांचो

मतबल जाणर्या छै

अर आपणी-आपणी

तजोर्या नै भरभा

लागर्या छै।

स्रोत
  • सिरजक : जितेन्द्र निर्मोही ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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