सून्याड़...

आपरी

बाथ्यां में भर मनैं

च्यारूंमेर

छाया-माया-सी

म्हारै आगै-लारै चालै

अकेली नीं छोडै।

सिराणै ऊभी

बा मनैं

म्हैं बीं नै

देखती रैवां-

जंजाळ आवै कियां?

देखां तो सरी!

स्रोत
  • पोथी : उघड़ता अरथ ,
  • सिरजक : सुंदर पारख ,
  • प्रकाशक : राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति, श्री डूंगरगढ़ ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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