आ सून्याड़...
आपरी
बाथ्यां में भर मनैं
च्यारूंमेर
छाया-माया-सी
म्हारै आगै-लारै चालै
अकेली नीं छोडै।
सिराणै ऊभी
बा मनैं
म्हैं बीं नै
देखती रैवां-
जंजाळ आवै कियां?
देखां तो सरी!