कद बुझसी तीरस सुतंतरता

प्रेम परतंतरता सूं कद मिटसी

कद टुट सी बंधन मात भौम रां

कद मिटसी कळैस जगत रा

कांई आदि पुरख री पनपी

भारत भौम दूजी ही?

है म्हारां आदि पुरख म्हानै

जीत रौ मारग बतां

कांई सांच है कै

म्हां गुलाम रैवालां?

कांई दुकाळ अर रोग ही

म्हाणै पांत है आयौड़ा

पछै किण सारू है

अै तारीफा रां फूल

कांई थै, देवौलां छोड़

थारै सरणागत नै

कांई? मावडी अळगी रै सकै

आपरै जाया सूं,

सूरवीर जोद्दा, हे आदि पुरख

राखससां रा विनासक

थाणौ धरम कठै है?

कांई जिमेवारी थारी नीं है कै

मांनखै नै देवौ जीवनदान

अर डर भौ सूं करौ मुगत।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : मीनाक्षी बोराणा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी