नूर मियाँ री टपरी में

फूट्योड़े चूल्हे माथे

जुनी हांडी में

खदबदे म्हारा सबद...

सबद सिज्यां

डोई सूं जद

पुरसे थाळी

आवे सौरम इंकलाब री।

स्रोत
  • सिरजक : संदीप निर्भय ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी