जीवण!

ताळ मांय

चालतो भंतूळ

चकरीबम्ब

मिनख

जूझै भंतूळ स्यूं!

पण!

उळझै फेरूं

पूठो

रम ज्यावै

उणी’ज

भंतूळ मांय

रेवै चकरीबम्ब

बूझै जीव

कद लग

रैय स्यूं

इण

संतूळ मांय।

वय तणा

तीनूं काळ

बेवै जाणै खाळ

आंटाटूंटा गैला

कद जाणसी

गै’ला!

खोळ तणो

खोळियो

पड़ै जणा जूनो

आतम तणो

ग्यान

होय जावै सूनो।

चालै गोडाळियां

रटै नित नाम

कद मिल’सी

राम।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली लोकचेतना री राजस्थानी तिमाही ,
  • सिरजक : लीटू कल्पनाकांत ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति पीठ
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