दिनूगै-दिनूगै धोरां बीच

नस काढतो सूरज

हुया करै है अेकदम लालचुट

पण कंवळो टमाटर सो'क

इंया सिंझ्या

पिछम धोरां में डूबतो

सूरज भी हुवै

अेकदम लालचुट

लुहार री धूंकणी तपायेड़ो

लोह सो'क

सूरज

आखै दिन बण्योड़ो रैवै अेक मजूर

भाजतो बगै

अगूंण सूं आथूंण

आथूंण सूं अगूंण

ईं स्रिस्टी नै

छेवट उजास, ऊर्जा अर ऊष्मा बांटतो

अठै

सूरज अर मजूरां नै

जक कठै!

उगतै-बिसूंजतै

उठतां-बैठतां-सोंवतां

बै हरमेस लाल रैवै

खीरा सा'क!

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : पूनमचंद गोदारा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी