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हिड़किया री लाळ

जगा जगा लाळ टपकती रैवै

जठै पड़ै लाळ

उठै भळै नवी झाळ

जिणसूं नवा नवा

हिड़किया रा कीड़ा पनपै

वै भळै फिरै

औरूं टपकती रैवै लाळ

अर चौफेर हिड़किया री लाळ

रा कीड़ा पनपै

जकौ आंखियां सूं नीं दीखै

सीधा मन मानस पर करै असर

बदळै मन रा भाव

कोई नैं आवै ताव

दिल पर लागै दाव

पण सूखा मन रा जाव

क्यारा पीया कोनीं

बेल सींची कोनीं

जीव जगा जगा भटकै

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हिड़किया री लाळ टपकै

नींद नीं आवै

टैम पर रोटी नीं खावै

अठी ऊठी नीं कोई जावै

नीं कोई बातां बतावै

माथा में कांई ठा कांई आवै

जकौ बतळम सूं जावै

कनै बैठा री तौ ठा कोनीं

सौ कोसां रा समाचार लावै

जकांरै व्हेवै जीव री जड़ी

वा मां भलां व्हेवै सांमी खड़ी

गिनार नीं रैवै

सिंझ्या व्हेवै चावै सवार

मांझल रात व्हेवै कै दोपार

कोई री कोनीं गळै दाळ

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ऐड़ी छै हिड़किया री लाळ

स्रोत
  • सिरजक : राजेन्द्र बारहठ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी