मायड़ राता-पीळा लीप्योड़ा

काचा गारा रा आंगणा मांय

केलूपोश ढाळयां में

ओवरी आड़ी नै बैठी

उणनैं याद आवै

थापड़ियां बळती रैवै

केलड़ी माथै सिकती

मक्की री गोळमटोळ रोटयां उथळतां

दाझती आग लियां

सीसाड़ो भरती सिसकियां।

मायड़ रो उणियारो- सळवटदार है

रेत रा धोरा लैरदार है

परात मांय चिपक्योड़ो आटो

ढुळकता आंसूड़ा रो छांटो बतावै है-

किण विध दुखां रो समदर

हबोळा खावै है।

सीसाड़ा सूं सिसकती

जिंदगाणी रा गवाह बणै है-

परात, चकलो, बेलण, केलड़ी

बुझ्योड़ा अंगार

आंसूड़ां नैं पूंछती, लूगड़ी री कोर

परेंडी पै बैठी भोळयार चिड़कली बतावै

हाल कोनी हुई भोर

रात बाकी हे-

पण सीसाड़ा थाकैला

भोर री पैली किरण

चिळकता उणियारा नैं बांचैला।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली राजस्थानी लोकचेतना री तिमाही ,
  • सिरजक : श्यामसुंदर टेलर ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी संस्कृति पीठ