गाँव में कोई भी खबर जल्दी सूं फैल जावै है

ज्यूँ ही गाँव के गंवाड़ी में पग धरयौ

कि सब नै ही बैगौ सौ पत्तो पड़ जावै है

फैर जल्दी सूं प्रियजन मिलबा आवै है

सहेलियां आवै ,बहनां आवै ,भाई आवै

सागै सागै काका सा,बड़ा ताऊ सा और

ब्हकां टांबर टौली भी आवै है

लुल लुल लाड़ कौड़ सूं मनुहार करे

और आमंत्रण दैवे सिरावण पाणी खातिर...

देख मैं सौच में पड़ जाँऊ

कि गाँवां में आल तक आत्मीयता संस्कार भरी रीत चाल रि है

मन खुस हो जावै और बार बार मनै गाँव तरफ लौटा लावै है।

सासरे से जदै पीहर आवै बेटी

या कोई परिवार में आगन्तुक आवै

तो बैगा से केलवा की मनुहार

करबौ परिवार का संस्कार मान्या जावै है

भले ही स्हैर मे ब्रैकफास्ट या अल्प आहार का औपचारिक आमंत्रण है

पर स्वाद तो सिरावण पाणी के साथ

मिल्या मेलमिलाप में ही आवै है

क्योंकि बैमाय रस अपणायत को रै वै है

आपणा बड़ा बुर्जुग सही कैर गया है कि

मिनख कै कांईं सागै जावै है

यां बोल बतलावण ही हमेस याद रह जावै है।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : जीनस कँवर ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी