सिन्झ्या रै टेम

हरमेस सूरज तावळो देख्यो

दोड़तो अेक टाबर सो’क

जिकौ आपरी माँ रै आँचल मांय

सभाणो चावै।

इयां इज सुरजियो भी

धोरा री धरती रै आँचल मांय

सोणो चावै,

दूर स्यूं आवंतै किसान अर गायां री

टल्यां

री टणटण सुण झिझकै,

फैर अपणायत री साज मांय

मिठ्ठी नींद बी

तारा जड़या काळो कम्बल लेय’र

सो ज्यावै...

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : प्रभुदयाल मोठसरा ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम