तीस कोडि तिन्न कोड देव तन्न, सुर आधी आवीया सहि।

दास तणी परि काम दिखावइ, मुनवर रूधा दइत महि॥

सिव कहियउ देवां सिगळां ही, दूजा कांइ दीसई देव।

देवां बियां कन्हा घण दानी, भोळी चकवति पूछइ भेव॥

सुर आखइ अरज करे ताइ संभळु, देव वडा पछाड़इ दइत।

आवइ हुकम जउ हुयइ उयै रउ, रहिया हुइ ऊयइ री रइत॥

सिव तिण वार पनांग साहियउ, बंगाली दाखवइ बळ।

उण वेळा सिव रइ मुह आगळ, दूजा कुण नेठबइ दळ॥

तरइ विसन कहइ आगळी विसंभर, ब्रह्म तणइ छइ उयां वर।

तीने भुवण त्रिसींग ताडिया, धणी कीया सयल धर॥

ब्रह्म तरइ पूछिया विसंभर, दाखवि मरइ कियइ परि दइत।

देव तणउ वाहरू दाखइ, रहिया देव बडा हुइ रइत॥

सेनापति कुंवर हुओ कातिग सुर, सुर हूवियां अनेरा साथ।

तइ ब्रह्म कहइ आगळि विसंभर, जाई असुर सही भाराथ॥

आहंचइ सकति पूछिया ईसर, मेल्हीस कुंवर लियण ताइ माज।

एकण देव ऊपरइ इतरा, आखइ सती धनउ दिन आज॥

वहिलउ दीन्हउ हुकम विसंभर, मेछ पछाडण आप गल।

वडइ राग नीसांण वाजियइ, दइत तणइ देसे दहल॥

प्रह पूठती समा जाइ पूगा, घेरिया असुर रूंधिया घाट।

ऊतरिया उर थट्ट आवे नइ, दीजइ दइत तणइ देसे दहल॥

प्रह पूठती समा जाइ पूगा, घेरिया असुर रूंधिया घाट।

ऊतरिया उर थट्ट आवे नइ, दीजइ दइत तणइ सिर दाट॥

तडकाइसुर दइत बांधियउ तरकस, देखे दळ हींसीयउ दूठ।

हलकारइ भड आप अपूठउ, पूठी रखउ थाप लइ पूठ॥

मिळिया अणी-अणी रसणे मिळ, सइधे मुहे घूमिया सार।

झालरियां नांखे भड झिलिया, धसकइ धरा वाजियइ धार॥

आवइ नव नवा भड अणीए, छोड कमांण नींछटइ बाण।

देव करारा हाथ दाखवइ, असुरां घड चूकई अवसाण॥

बळ करतउ घणूं बोळावतउ, लख भड आभ जिसा केलार।

ठोसइ गयंद पहाड़ ठेलंतइ, आया असुर करे अहंकार॥

वाजिया आंम्हो-सांम्हो वांगड, घाट जुडंती त्रिविध घड़।

खटकइ कड़ी छडकी खागे, ध्यागे लागा वहइ धड़॥

दइत पहाड़ जिसा दाखीजइ, भड धूणा करता भाराथ।

गात्र कुंवार सादूळ तणी गति, निज तो सरण अनाथा नाथ॥

कुवरांगुर तरइ पुन्नाग ग्रह्यउ कर, भड हलकारइ महाभड़।

एकण बाण कबांण आवजइ, ऊपाड़े नांखिया उपड़॥

मिटिया असुर मारिया मांझी, गोरू हुइ मुख घास ग्रहइ।

कहरी जिके छुरी विच काढइ, रहइ तिके पग छांह रहइ॥

जीतइ तणां दिवाड़े जांगे, हुई वधाई लगइ हरि।

सुर असुरां अगा छोडाविया, घणां महोछव घरां घर॥

अकल सकल अवगति अपरंपर, रामेसर मोटउ राजांन।

किसनउ कहइ कृपा हिव कीजइ, वड दातार वधारण वांन॥

स्रोत
  • पोथी : प्राचीन राजस्थानी काव्य ,
  • सिरजक : किसनौ ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै