विचारां री धजावां सांभ्यां

वाद री पछेवड़ी ओढ्यां

भाजता दीसै

केई आगीवाण।

सईकां सूं

दब्योड़ा-चींथ्योड़ा

माणसां री पीड़ रो

अणूतो सेको ढोवता।

अैड़ी धजावां अर

जगचावी पछेवड़ी

वांनै पूगायदै सैं-ठौड़

वां सागी सिंघासणां माथै

जठै सूं मानखै रै साथै

हुवै अणूंताई

जिनावर जैड़ी।

हाल बगत लिखारा

राजनेतावां सूं

वपराय लीन्ही

अंगेज लीन्ही

हदभांत

राज करण री खामचाई।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : राजेन्द्र शर्मा ‘मुसाफिर’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति श्रीडूंगरगढ़
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