साळ बोली रसोड़ै सूं

तूं इतो गुमसुम क्यूं है?

देखण लाग रैयो हूं

तद सूं,

जद सूं आपणै अठै

बसणिया

नूंवो घर बणायो है।

उथळो देंवता रसोड़ौ बोल्यो,

तूं ही बता

जका आपणै साम्हैं

हुया मोटा

खेल्या आंगण मांय

घालता घूमर आखै दिन

म्हारै आगै लारै।

छोड़ग्या आपां ने

नितर अेकला

इण हाल मांय

किंया रैय सकूं

खुस म्‍हूँ।

साळ बोली

इंया गुमसुम रैया

बंटै कोनी कीं

अै मिनख

छोड़ सके

बुढ्ढा होया पछै

आपरै मायतां ने भी

फैर

आपणो तो

माजणों ही कै है...

स्रोत
  • सिरजक : रामकुमार भाम्भू ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै