सुण! सावणिया सैंण

थारै आयां

वसुधा करै बणाव

ओढ़ै पीवर री चूंदड़ी

हरियै बूंटां री

बेलां आळै बोडर री

लगावै लीलाड़ माथै

लाल ममोलियां री टीकी

हळ रूपी कांगसियै

बणावै केस

अर हळौतिया जाणै

फैसनगरी कामणी रै

माथै में गूंथीयोड़ी टाळां

पण थारी ओळ्यूं में

पांतरज्यावै

सिणगार

गम ज्यावै इंणरी टीकियां

उड़ज्यावै चूंदड़ी रो रंग

उळझ ज्यावै सगळो माथो

अर मिट ज्यावै बणाव

सुण

थूं आवजै बेगो

अर लावजै इणरै

हरियल चूंदड़ी

लाल टीकियां

अर धोय नैं माथो

बणाजे इणरा केस।

स्रोत
  • पोथी : भींत भरोसै री ,
  • सिरजक : सत्येंद्र चारण ,
  • प्रकाशक : वेरा प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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